'प्रेम संबंध में बने शारीरिक रिश्ते दुष्कर्म नहीं...', इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

Physical relations in love relationship are not rape

Physical relations in love relationship are not rape

Physical relations in love relationship are not rape: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रेम संबंधों और शारीरिक संबंधों से जुड़े एक मुद्दे एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट का कहना है कि अगर प्रेम संबंधों में शारीरिक संबंध सहमति से बने हों, तो उन्हें दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने कहा कि अगर महिला शुरू से यह जानती है कि सामाजिक कारणों की वजह से उसकी शादी मुमकिन नहीं है और बावजूद इसके वह सालों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.

जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की बेंच ने महोबा जिले के चरखारी थाना क्षेत्र की एक महिला की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया . महिला ने अपने सहकर्मी लेखपाल पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था.

पीड़िता का आरोप

दरअसल पीड़िता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि 2019 में उसके सहकर्मी लेखपाल ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने अपने घर बुलाकर नशीला पदार्थ पिलाकर उसके दुष्कर्म किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया. होश में आने के बाद शादी करने का वादा किया लेकिन चार साल बाद जातिगत ताना मारते हुए शादी से इनकार कर दिया. पीड़िता ने इस मामले की शिकायत पुलिस अधिकारियों से की लेकिन सुनवाई नहीं हुई.

‘शादी का झांसा देकर बनाए संबंध’

इसके बाद पीड़िता ने एससी-एसटी की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया, विशेष अदालत ने परिवाद खारिज कर दिया. इसके खिलाफ पीड़िता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अर्जी दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई. पीड़िता ने दलील दी कि आरोपी लेखपाल ने शादी का झांसा देकर उसके साथ सालों तक संबंध बनाए.फिर जाति सूचक शब्दों से अपमानित कर शादी से इंकार कर दिया.

आरोपी के वकील की दलील

वहीं कोर्ट में आरोपी लेखपाल के वकील ने दलील दी कि पीड़िता ने खुद थाने और एसपी को लिखकर कार्रवाई से इनकार किया था. जब आरोपी लेखपाल ने उधार दिए 2 लाख रुपए मांगे तब पीड़िता ने परिवाद दाखिल कर दिया.

कोर्ट ने खारिज की याचिका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर महिला शुरू से जानती है कि सामाजिक कारणों से शादी संभव नहीं है, तब भी सालों तक सहमति से संबंध बनाए रखने को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता है. जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी.